उल्लू को हमेशा से एक रहस्यमयी पक्षी माना जाता रहा है। यह माता लक्ष्मी का वाहन है। इसका प्रयोग तंत्र साधनाओं में हमेशा से होता रहा है। उल्लू के पंख आम तौर पर जंगलों में गिरे हुए प्राप्त होते हैं। आम तौर पर धारणा है कि उल्लू का घर में पालना नहीं चाहिए।
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उल्लू रात्रि में दिखने वाला पक्षी है और इसका प्रमुख भोजन चूहा होता है। मान्यता यह है कि उल्लू को किसी भी संकट का पूर्वानुमान हो जाता है, इसलिए इसे ‘अपशकुन’ का प्रतीक भी माना गया है। तंत्र क्रियाओं में तो उल्लू की विशिष्ट भूमिका देखी जाती रही है, इसीलिए तांत्रिक तंत्र शक्तियों के लिए अक्सर उल्लू का उपयोग करते रहे हैं। प्राचीन काल में मौसम का हाल जानने के लिए भी उल्लुओं का उपयोग किया जाता था। उल्लू से सम्बंधित कुछ तंत्र साधनाए हम आपको बताने जा रहे हैं-
प्रेत – दोषों का नाश करने के लिये प्रयोग
उल्लू के दाँये पंख को उसका धूप – दीप आदि से पूजन करें। फिर निम्नलिखित मंत्र का 1008 बार जाप करें – ॐ नमो कालरात्रि। फिर इसी मंत्र का जाप करते हुये इसे किसी ताबीज में बन्द करके पीड़ित व्यक्ति के गले में पहना दें तो उससे भूत – प्रेत आदि के समस्त दोष दूर हो जाते हैं।
ग्रहों का दुष्प्रभाव दूर करने के लिये तंत्र
उपरोक्त विधि से तैयार किये गये ताबीज को पीड़ित व्यक्ति की दाहिनी भुजा में बाँध देने से दुष्ट ग्रहों का दुष्प्रभाव दूर हो जाता है।
व्यापार बढ़ाने के लिये
उल्लू की पूँछ के पंखों को किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी, दशमो या अमावस्या को लेकर आयें। फिर उनका धूप – दीप आदि से मनोभाव से पूजन करें और उनको किसी ताबीज में बन्द करके अपने दाँये हाथ में बाँधे तो व्यापार में बहुत सफलता प्राप्त होती है ।
पत्नी को वश में करने के लिये तंत्र
पत्नी उसके वश में न रहती हो तो वह पुरुष किसी भी महीने की सप्तमी, नवमी या पूर्णिमा को प्रात: काल ही उल्लू के सिर के पंखों को लेकर आये। फिर उनका धूप – दीप आदि से मनोभाव से पूजन करके उनको सोने के ताबीज में बन्द करके अपने दाहिने हाथ पर बाँध ले। इससे धीरे – धीरे पत्नी से प्रेम – भाव बढ़ने लगता है और झगड़े समाप्त हो जाते हैं।
बुद्धि बढ़ाने के लिये
कार्तिक मास की पूर्णमासी के दिन सूर्योदय से पहले ही उल्लू के पेट के पंखों को ले आयें। फिर उनका धूप – दीप आदि से पूजन करके उनको सोने के ताबीज में बन्द करके हाथ में बांध दें ( पुरुष हो तो उसके दाहिने हाथ में बाँधे और नारी हो तो उसके बाँये हाथ में बाँधे )। ऐसा करने से धीरे – धीरे बुद्धि का विकास होने लगता है ।
मिरगी दूर करने के लिये तंत्र क्रिया
उल्लू के ग्यारह पंख और एक सफेद रंग का सूती कपड़ा लाकर रख लें। फिर इन पंखों को एक – एक करके जलायें और उनके धुंये को उस सफेद कपड़े पर एकत्रित करते रहें। फिर उस कपड़े को लपेटकर उसकी बत्ती बनाकर रख लें। फिर शनिवार के दिन प्रात : काल इस बत्ती को पीड़ित व्यक्ति के हाथ में बाँध दें ( परुष हो तो उसके दाहिने हाथ में बाँधे और महिला हो तो उसके बाँये हाथ में बाँधे )। इससे मिरगी ( मृगी ) की बीमारी धीरे – धीरे ठीक होने लगती है।
मान्यता-कोई उल्लू किसी के घर पर बैठना प्रारम्भ कर दे तो वह शीघ्र ही उजड़ जाता है। यदि किसी घर की छत पर बैठकर बोलता है तो उस घर के स्वामी या परिवार के सदस्य की निश्चित रूप से मृत्यु होती है। यदि किसी के दरवाजे पर उल्लू तीन दिन तक लगातार रोता है तो उसके घर में डकैती पड़ती है।
उल्लू दिखना और उसके अर्थ