वैष्णों देवी की स्तुति, स्वरूप दिव्य और परम गति प्रदान करने वाला

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माता वैष्णों देवी की स्तुति

वैष्णवी शक्ति का बखान दुर्गा सप्तशती में किया गया है, वैसे तो भगवती दुर्गा के सभी स्वरूप दिव्य व अलौकिक हैं, लेकिन कलयुग में भगवती का वैष्णवी स्वरूप की स्तुति करने से जीव का परम कल्याण होता है। भगवती का हर स्वरूप दिव्य व अलौकिक है और परम गति प्रदान करने वाला है, जीव को पूर्ण श्रद्धा व भक्ति के साथ भगवती के स्वरूपों का ध्यान,अर्चन, पूजन करना चाहिए। भगवती के इन स्वरूपों का जो भी भक्त श्रद्धा भाव से नित्य पूजन-अर्चन करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है। इस संसार में भी उसके संकट दूर होते हैं।

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वैष्णों देवी की स्तुति:-

त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्त वीर्या

विश्वस्य बीजं परमासि माया ।

सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्

तवं वै प्रसन्न भुवि मुक्ति हेतुः ।।

विद्याः समस्तास्तव देवि भेदाः

स्त्रियः समस्ताः सकला जगत्सु ।

त्वयैकया पूरितमम्ब यैयन

का ते स्तुतिः सल्वयपरा परोक्तिः 111

भावार्थ:-तुम असीमित बल और शक्ति से संपन्न वैष्णवी हो। तुमने संपूर्ण जगत को मोहित कर रखा है। तुम प्रसन्न होने पर पृथ्वी पर मोक्ष की प्राप्ति कराती हो।

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संपूर्ण विद्यायें तुम्हारे ही अनेकों रूप हैं। जगत की समस्त स्त्रियां तुम्हारी ही मूर्ति के स्वरूप हैं। हे जगत माता! तुम से ही यह विश्व व्याप्त है। तुम्हारी स्तुति कौन कर सकता है? तुम स्तवन करने वाले पदार्थों से परे परावाणी हो।

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नोट:-भगवती वैष्णवी के स्वरूप के दर्शन वैष्णो देवी मंदिर में भक्त शहद कैसे कर सकते हैं। प्रतिदिन वैष्णो देवी के दरबार में लाखों भक्त दर्शन पूजन के लिए जाते हैं और अपनी मनोकामना को पूरा कर भगवती की कृपा प्राप्त करते हैं। भगवती दुर्गा के अनंत रूप हैं, अनंत कथाएं हैं, जिनके ध्यान, पूजन व अर्चन से जीव का सदैव ही कल्याण होता है।आप वैष्णो देवी के दर्शन करने जा रहे हैं तो भैरव बाबा के दर्शन किए बिना आपकी यात्रा अधूरी मानी जाती है।

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