वर्षा ऋतु के रोग – वर्षा ऋतु में पेट के रोग जैसे हैजा, दस्त ( डायरिया ), आंत्रशोथ के तथा पीलिया आदि रोगों में नीबू का उपयोग बहुत गुणकारी रहता है। इसके अतिरिक्त नीबू का ताजा रस यकृत कोशिकाओं में आने वाली विषाक्तता को दूर करके यकृत सम्बन्धी रोग दूर करता है। वर्षा में ज्वर, फोड़े – फुंसी बहुत होते हैं। नीबू का सेवन इनमें लाभदायक है। गर्म जल में नीबू मिलाकर कम – से – कम 95 दिन नित्य पीना चाहिए।
फरास ( Dandruff)- ( 1 ) दो नीबू का रस, चार चम्मच पानी, चार चम्मच चीनी सब घोलकर बालों की जड़ों में लगायें। आधे घण्टे बाद सिर धोयें।
( 2 ) फरास होने पर नारियल के तेल में नीबू मिलाकर रात को बालों की जड़ों में लगायें। नीबू के रस को पानी में मिलाकर सिर धोने से बाल मुलायम होते हैं। नीबू को काटकर सिर में रगड़ें और रस सूखने दें, फिर धोयें। इससे फरास दूर हो जाती है।
सुप्रसव ( Easy Delivery )– यदि चौथे माह से प्रसवकाल तक गर्भिणी एक नीबू की शिकञ्जी ( पानी में शक्कर और नीबू निचोड़कर ) नित्य पिये तो प्रसव सरलता से बिना कष्ट के होता है।
स्तन में फोड़ा हो तो समान मात्रा में नीबू का रस और शहद लगाकर स्त्री के स्तन पर पट्टी करें। भूखे पेट गर्भावस्था की उल्टी में नीबू की शिकञ्जी पिलायें।
गर्भस्राव ( Abortion )– नमकीन शिकञ्जी ( नीबू , नमक व पानी ) में विटामिन ‘ ई ‘ होता है। विटामिन ‘ ई ‘ स्त्री को गर्भधारण में सहायता करता है। गर्भ की रक्षा करता है, गर्भस्राव रोकता है। सुबह – शाम नमकीन शिकञ्जी पीने से विटामिन ‘ ई ‘ की पूर्ति हो जाती है। जिनको गर्भस्राव होता हो, वे नमकीन शिकञ्जी पियें तथा रात को सोते समय पाँवों के नीचे तकिया रखें।