विपत्ति नाश, यात्रा में शुभता और सर्व शुभता प्राप्ति के लिए क्या करें, असरदार उपाय जानिये

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विपत्तिनाश के उपाय, मार्ग के विध्न दूर करने के उपाय, स्वरोदय के अनुसार शुभता का विचार, दुर्घटना से बचान का उपाय, काक मैथुन के शकुन-अपशकुन विचार व शुभता के लिए विश्ोष कल्याणकारक प्रयोग हम आपको बताने जा रहे हैं।

विपत्तिनाश के उपाय-

अगर कोई व्यक्ति सदैव परेशान रहता है, अनेकानेक प्रयास के बाद भी उस पर से संकट दूर नहीं हो रहे हो तो वह गाय का मूत्र, विष और गंधक को मिलाकर चूर्ण चर्ण करे।

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इसके पश्चात अपने आवास पर मंगल और शनिवार को गाय के उपले अर्थात कंडे जलाकर चूर्ण छिड़के और उसकी धूनि करे तो उसके सभी संकट, विपत्ति आदि का नाश होता है।

मार्ग के विध्न दूर करने के उपाय-

यदि किसी कार्य से आपको बाहर जाना पड़ रहा है। शकुन-अपशकुन आदि पर विचार करने का समय न हो तो घर पर ही शुभ शकुन लेकर प्रस्थान करें। ंद्बार के बाहर आकर सड़क पर विष, हरताल और गंधक का चूर्ण छिड़क दें तो मार्ग के सभी विघ्न प्रभावहीन हो जाते हैं।

स्वरोदय के अनुसार शुभता का विचार-

प्रात: काल शय्या से उठने से पहले निर्णय कीजिए कि अपका कौन सा श्वास चल रहा है। पता चलते ही जिस ओर श्वास चल रहा हो, उसी तरफ का हाथ उठाकर अपने चेहरे पर घुमायें। चेहरे पर ऐसे घुमाएं जैसे चेहरा साफ कर रहे हों। फिर भगवान शिव शंकर को नमन करें। जिस तरफ का श्वास चल रहा हो, वहीं का पांव धरती पर उतार दिन की शुरुआत कीजिए।

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किसी कार्य के लिए प्रस्थान करते समय एक नींबू लेकर उसमें आठ पिनें समान्तर दिशाओं के अनुसार चुभा करके लाल डोरे से लपेटकर घर के द्बार के बाहर किसी कोने में रखकर प्रस्थान कीजिए। श्रेयस्कर रहेगा। इससे राह के सभी विघ्न नष्ट हो जाते है। याद रखिये कि नींबू सूखने से पहले आप वापस जरूर आ जाइये। वापस आने पर थोड़ा का मिष्ठान अर्पण करके नींबू को किसी नदी में बहा देना चाहिए।

यात्रा के लिए क्या करें-

किसी भी कार्य के लिए प्रस्थान करने पन अशुभ शकुन हो तो वापस लौटकर किसी दूध वाले वृक्ष के नीचे खड़े होकर अपने इष्ट देव का स्मरण करके पुन: प्रस्थान कीजिए। मार्ग के कंटक प्रभावहीन हो जाएंगे।

क्रोध-
यात्रा के आरम्भ या किसी भी कार्य के प्रारम्भ में क्रोध करने से हानि होती है। इसलिए क्रोध न करें।

शुभता के लिए विश्ोष कल्याणकारक प्रयोग-
किसी कार्य के प्रारम्भ में एक काला धागा लेकर अपने सिर से पांव तक नापें। उसे धूपादि करके अपने मंतव्य का स्मरण करते हुए धागे पर गांठ लगाइये। ऐसा सात बार कीजिए। सात बार स्मरण करते हुए सात बार गांठ लगाइये। ध्यान रहे कि धागे में सात गांठे ही लगानी चाहिए।

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इसके पश्चात अशोक के वृक्ष का कोमल पत्ता लेकर वह धागा उस पर लपेटे और उसे अपनी अपनी पगड़ी या टोपी में रखकर प्रस्थान करें तो आपके मन्तव्य की आवश्य ही पूर्ति होगी।
स्वर और पांव से शुभता विचार-
किसी भी कार्य के लिए प्रस्थान करते समय यात्रा के प्रारम्भ में, सवारी चढ़ते समय, किसी कार्यालय में प्रवेश करते समय, वापस घर आते समय, घर में प्रवेश करते समय, परीक्षा के कमरे में प्रवेश करते समय या कार्य आरम्भ में देख्ों कि नाक से कौन स्वर चल रहा है। उसी तरफ का पांव आगे करके कार्य आरम्भ करना चाहिए। ऐसा करने से सफलता आवश्य प्राप्त होती है।
काक मैथुन के शकुन-अपशकुन विचार-
किसी भी व्यक्ति के लिए काक मैथुन अर्थात कौवे को मैथुन करते देखना दुखद व हानिकारक है। इसलिए इस दर्शन की अशुभता को समाप्त करने के लिए उड़द, जब और गेहूूं को समान मात्रा में पीसकर आटा बनायें। इस आटे को भिगोकर कौवे की प्रतिमा बनायें। एक मिट्टी की हंडिया लेकर उसमें वह प्रतिमा रख दें। धूप-दीप दिखायें। उड़द, चावल, गुड़, घी, शहद व मिष्ठान चढ़ाकर ऊॅँ शांति-शांति- शांति……..मंत्र का 1०8 बार जप करके किसी नदी में वह हंडिया प्रवाहित कर दें। किसी वृद्ध ब्राह्मण को भोजनादि से तृप्त करके आर्शीवाद प्राप्त करना चाहिए।
दुर्घटना से बचान का उपाय-
यात्रा आदि के समय कोई दुर्घटना न हो,इसके लिए तामड़ा पत्थर, अंगूठी में जड़वाकर पहने तो सुरक्षा प्राप्त होगी।

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