वृष्टिकारक व रोगनाशक मंत्र जानिए, होगा लाभ

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स्था के मूल में विश्वास होता है। यदि संशय का भाव जीव के मन में है तो उसका पूजन- अर्चन पूर्ण रूप से फलीभूत नहीं होता है, इसलिए सच्चे हृदय से भगवान को नमन करना चाहिए। हम वर्षा कराने व रोग से मुक्ति के लिए एक प्रभावशाली मंत्र आपको बताने जा रहे है। भगवान श्री राम को चरण कमलों को हृदय में धारण कर पूर्ण श्रद्धाभाव से जप किया जाए तो मनोकूल फल की प्राप्ति होती है। मंत्र जप से पूर्व गणपति का ध्यान पूजन करें। फिर मंत्र जप करना चाहिए। इससे पूजन के विघ्न दूर होते हैं।
मंत्र है- 
सोइ जल अनल अनिल संघाता। 
होइ जलद जग जीवनदाता।। 
मंत्र सिद्ध करने की विधि- 
उक्त मंत्र को प्रतिदिन एक सौ आठ बार जपते हुए दस दिन पूर्ण करें। जब वर्षा करवानी हो तो जल के मध्य खड़े होकर दस हजार जप करने चाहिए। आकाश की ओर जल के छींटे दें। रोग नाश के लिए कांसे की कटोरी में जल भरकर इस मंत्र से 1०8 बार शक्तिकृत करके अभिमंत्रित जल रोगी को पिला दीजिए। इससे रोग का नाश होता है और बीमार व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ होता है। यह अत्यन्त प्रभावशाली मंत्र है।
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