नई दिल्ली। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि औषधीय पौधों जैसे आर्टीमिसिया एनाउआ को कोविड-19 के लिए संभावित उपचार बताने से पहले उनकी प्रभावशीलता और दुष्प्रभावों का क्लिनिकल परीक्षण किया जाना चाहिए।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित पारंपरिक चिकित्सा का समर्थन करता है। पूरक और वैकल्पिक दवाइयों के कई चिकित्सा लाभ होते हैं। कोविड-19 का इलाज खोजने की दौड़ ने औषधीय पौधों में नए सिरे से रुचि जगाई है। आर्टेमिसिया एनाउआ नामक पौधा जिसे मीठे कृमि के रूप में भी जाना जाता है, इनमें से एक है।
मेडागास्कर के राष्ट्रपति एंड्री राजोइलिना इस पौधे के आधार पर एक इलाज को बढ़ावा दे रहे हैं। हालांकि इस आयुर्वेदिक मिश्रण का अभी तक वैज्ञानिक परीक्षण नहीं किया गया है। इसके बावजूद कई अफ्रीकी देशों के प्रमुखों ने इसको खरीदने का आदेश दिया है या इसकी खेप प्राप्त की है।
डब्ल्यूएचओ के उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्रीय कार्यालय ने बयान में कहा, “भले ही उपचार पारंपरिक व्यवहार और प्राकृतिक तरीके से किए गए हों, लेकिन कठोर क्लिनिकल परीक्षणों के माध्यम से उनकी प्रभावकारिता और सुरक्षा की जांच महत्वपूर्ण है।”
डब्लूएचओ ने कहा कि वह शोध संस्थानों के साथ काम कर रहा है, जिससे ऐसे पारंपरिक चिकित्सा उत्पादों का चयन किया जा सके जिन्हें कोविड-19 के उपचार के लिए क्लिनिकल प्रभावशीलता और सुरक्षा के लिए जांचा जा सकता है। संगठन ने कहा कि कुछ उपायों की प्रभावशीलता के बारे में खासकर सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं के खिलाफ सावधानी बरती जानी चाहिए, क्योंकि कोविड-19 का उपचार खोजने के लिये कई प्रयास चल रहे हैं।
डब्लूएचओ के बयान में कहा गया है कि जिन उत्पादों की कड़ी जांच नहीं की गई है, वे लोगों को खतरे में डाल सकते हैं। उन्हें सुरक्षा का झूठा अहसास दिला सकते हैं और इलाज के सही उपायों से भटका सकते हैं।