नींबू कल्प में नींबू के रस में आवश्यकतानुसार नारंगी या
सन्तरे का मीठा रस मिलाकर पिया जाता है। यह कल्प चौबीस दिनों का होता है। इन चौबीस दिनों में सिवा नींबू-रस और संतरे के रस तथा शुद्ध जल के और कुछ खाया-पिया नहीं जाता।
नींबू-कल्प एक नींबू से आरम्भ किया जाता है और प्रति
दिन एक-एक नींबू बढ़ाते हुए १२ दिनों में १२ नींबू तक लेकर फिर एक-एक नींब घटाते-घटाते एक नींव तक आ जाना चाहिये।
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आवश्यकतानुसार नींब- रस सहित मीठाफल-रस दिन में तीन-चार बार तक लिया जा सकता है। कल्प के अन्त में कछ दिनों तक फल और दूध पर रहकर धीरे-धीरे साधारण भोजन पर आ जाना चाहिये।
इस कल्प से शरीर की कायापलट हो जाती है और उसमें
नवजीवन का संचार हो जाता है। इस कल्प से रुधिर शुद्ध हो जाता है जिससे शरीर के अनेक जाहिर-छिपे रोग स्वतः दूर हो जाते हैं ।
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