सतयुग में देवों व दानवों ने समुद्र मंथन किया था, इस विषय में अधिकांश लोग जानते हैं। इस मंथन में विष के साथ ही 14 बहुमूल्य रत्न प्राप्त हुए थे। विष का पान को भगवान भोलेनाथ शंकर ने कर लिया था। बहुमूल्य रत्न देवताओं में वितरित हो गए थे। हम आपको बताते हैं, वह रत्न कौन से है? जो दानवों व देवताओं के समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए थे।
ये रत्न है-
1- लक्ष्मी जी, 2- कौस्तुभ मणि, 3- परिजात मणि, 4- वारूणी सुरा, 5- धन्वन्तरिणी, 6- चंद्रमा, 7- गरल यानी हलाहल विष, 8- पुष्पक विमान, 9- ऐरावत हाथी, 1०- पान्चजन्य शंख, 11- श्याम कर्ण जश्न, 12- कामधेनु गौ, 13- अमृत, 14- रम्भ अप्सरा।
इनमें से हलाहल विष को जब प्राप्त किया था, तो इसके प्रभाव से सम्पूर्ण सृष्टि में हाहाकार मच गया था। तब इसे भगवान भोलेनाथ शंकर ने इसे अपने कंठ में धारण कर सृष्टि की रक्षा की थी। देवताओं ने भगवान भोलेनाथ को नमन कर उन्हें प्रसन्न किया था।