ये चौदह रत्न प्राप्त हुए थे समुद्र मंथन में

0
2655

सतयुग में देवों व दानवों ने समुद्र मंथन किया था, इस विषय में अधिकांश लोग जानते हैं। इस मंथन में विष के साथ ही 14 बहुमूल्य रत्न प्राप्त हुए थे। विष का पान को भगवान भोलेनाथ शंकर ने कर लिया था। बहुमूल्य रत्न देवताओं में वितरित हो गए थे। हम आपको बताते हैं, वह रत्न कौन से है? जो दानवों व देवताओं के समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए थे।

ये रत्न है-

1- लक्ष्मी जी, 2- कौस्तुभ मणि, 3- परिजात मणि, 4- वारूणी सुरा, 5- धन्वन्तरिणी, 6- चंद्रमा, 7- गरल यानी हलाहल विष, 8- पुष्पक विमान, 9- ऐरावत हाथी, 1०- पान्चजन्य शंख, 11- श्याम कर्ण जश्न, 12- कामधेनु गौ, 13- अमृत, 14- रम्भ अप्सरा।

Advertisment

इनमें से हलाहल विष को जब प्राप्त किया था, तो इसके प्रभाव से सम्पूर्ण सृष्टि में हाहाकार मच गया था। तब इसे भगवान भोलेनाथ शंकर ने इसे अपने कंठ में धारण कर सृष्टि की रक्षा की थी। देवताओं ने भगवान भोलेनाथ को नमन कर उन्हें प्रसन्न किया था।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here