योगी के फैसले: अखिलेश का मिट रहा जनाधार, सत्ता वापसी के द्वार बंद

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योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बड़े और निर्णायक फैसले लिए, जिनमें से कुछ विवादित भी रहे। ये फैसले जहां कुछ वर्गों में समर्थन हासिल करने में सफल रहे, वहीं विपक्ष और अन्य वर्गों से आलोचना का सामना भी करना पड़ा। नीचे योगी सरकार के कुछ प्रमुख विवादित फैसलों का विवरण दिया गया है, लेकिन उससे पहले हम जान लेते है कि योगी सरकार के हिंदूवादी फैसलों से यूपी के प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का दिन का चैन और रात की नींद उड़ा दी है। हाशिए पर पहुंचे समाजवादी योगी सरकार के हिंदूवादी फैसलों से अपनी सियासी जमीन खो चुके है। हालत यह है कि योगी सरकार की कार्यप्रणाली के चलते समाजवादी पार्टी को सात वर्ष से सत्ता से दूर रहना पड़ा है और अभी हाल फिलहाल तो क्या दूर- दूर तक समाजवादी पार्टी की प्रदेश में वापसी किसी शेखचिल्ली के ख्वाब से ज्यादा कुछ नहीं रह गई है। एक और महत्वपूर्ण पहलू है कि महाकुम्भ के बाद तो सपा की बची- खुची सियासी जमीन भी खिसकने वाली है, क्योंकि अब सपा के अपने मतदाता यानी यदुवंशी अब धीरे-धीरे भाजपा का दामन थामने लगे है। इसकी वजह है अखिलेश की मस्लिम परस्ती।


1. धर्मांतरण विरोधी कानून (“लव जिहाद” पर कानून)

  • विवाद: उत्तर प्रदेश सरकार ने 2020 में “उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन निषेध अध्यादेश” लागू किया। इसे “लव जिहाद कानून” के नाम से जाना गया। यह कानून जबरन धर्मांतरण और शादी के उद्देश्य से धर्म बदलने पर रोक लगाता है।
  • आलोचना: कई विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने इसे “सांप्रदायिक ध्रुवीकरण” का प्रयास बताया। उन्होंने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ बताया।
  • समर्थन: हिंदू संगठनों ने इसे हिंदू लड़कियों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया।

2. बुलडोजर कार्रवाई

  • विवाद: योगी सरकार ने अवैध निर्माण और माफियाओं के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई शुरू की। इस कार्रवाई के तहत कई संदिग्ध माफियाओं और अपराधियों की संपत्तियां ढहा दी गईं।
  • आलोचना: विपक्ष ने इसे “चुनिंदा कार्रवाई” और “विशेष समुदाय को निशाना बनाने” का आरोप लगाया। आलोचकों का कहना है कि इसे न्यायिक प्रक्रिया के बिना किया गया।
  • समर्थन: सरकार ने इसे “अपराधमुक्त समाज” की दिशा में कदम बताया।

3. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का समर्थन

  • विवाद: योगी सरकार ने CAA के विरोध में हुए प्रदर्शनकारियों पर सख्त कार्रवाई की। लखनऊ और अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन के दौरान दर्जनों लोगों की गिरफ्तारी हुई और प्रदर्शनकारियों पर मुकदमे दर्ज किए गए।
  • आलोचना: सरकार की कार्रवाई को “असहमति की आवाज को दबाने” और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया गया।
  • समर्थन: सरकार ने इसे देश की सुरक्षा और नागरिकता प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए आवश्यक बताया।

4. धर्म आधारित विकास (अयोध्या, काशी, मथुरा पर फोकस)

  • विवाद: योगी सरकार ने धार्मिक स्थलों जैसे अयोध्या, काशी और मथुरा के विकास को प्राथमिकता दी। कई आलोचकों ने इसे “एक विशेष धर्म का पक्ष लेना” बताया।
  • आलोचना: अन्य धर्मों और क्षेत्रों के विकास को नजरअंदाज करने का आरोप लगा।
  • समर्थन: हिंदू संगठनों ने इसे सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को पुनर्जीवित करने का प्रयास बताया।

5. “लाउडस्पीकर हटाने” का फैसला

  • विवाद: योगी सरकार ने धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने का आदेश दिया, ताकि ध्वनि प्रदूषण को रोका जा सके।
  • आलोचना: मुस्लिम संगठनों ने इसे मस्जिदों और अजान पर पाबंदी का प्रयास बताया।
  • समर्थन: सरकार ने इसे सभी धर्मों पर समान रूप से लागू करने की बात कही, और इसे “ध्वनि प्रदूषण रोकने का कदम” बताया।

6. गोकशी पर सख्त कानून और गौशालाओं का निर्माण

  • विवाद: योगी सरकार ने गोकशी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया और इस कानून के उल्लंघन के आरोप में कई गिरफ्तारियां कीं। साथ ही, गौशालाओं के निर्माण पर जोर दिया।
  • आलोचना: मुस्लिम समुदाय ने इसे उनके व्यवसाय और परंपराओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया।
  • समर्थन: हिंदू संगठनों ने इसे “गौ माता की रक्षा” के लिए ऐतिहासिक कदम बताया।

7. सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की भरपाई का कानून

  • विवाद: सरकार ने प्रदर्शनकारियों से सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए उनसे वसूली का आदेश दिया। विरोध प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ करने वालों के नाम और फोटो सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए।
  • आलोचना: इसे “संवैधानिक अधिकारों का हनन” बताया गया और “बिना दोष सिद्धि के सजा” की आलोचना हुई।
  • समर्थन: सरकार ने इसे “कानून व्यवस्था बनाए रखने” और “सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा” का कदम बताया।

8. अतिक्रमण विरोधी अभियान

  • विवाद: धार्मिक स्थलों और मजारों के अवैध निर्माण को हटाने के अभियान ने विवाद खड़ा किया। खासतौर पर मुस्लिम धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई को लेकर आरोप लगे।
  • आलोचना: इसे “विशेष समुदाय को निशाना बनाना” बताया गया।
  • समर्थन: सरकार ने इसे “अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई” बताया, जो सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होती है।

9. कुंभ मेले पर भारी खर्च

  • विवाद: प्रयागराज कुंभ मेले के आयोजन पर बड़ी मात्रा में सरकारी धन खर्च किया गया।
  • आलोचना: विपक्ष ने इसे “अन्य जरूरी क्षेत्रों की उपेक्षा” का आरोप लगाया।
  • समर्थन: सरकार ने इसे हिंदू संस्कृति और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास बताया।

10. पुलिस एनकाउंटर नीति

  • विवाद: योगी सरकार ने अपराधियों के खिलाफ एनकाउंटर की नीति को प्राथमिकता दी। पुलिस द्वारा एनकाउंटर में कई संदिग्ध अपराधी मारे गए।
  • आलोचना: इसे “फर्जी एनकाउंटर” और न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन बताया गया।
  • समर्थन: सरकार ने इसे “अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश” बनाने का प्रयास बताया।

निष्कर्ष:

योगी सरकार के ये फैसले उनके मजबूत नेतृत्व और हिंदुत्ववादी दृष्टिकोण को दिखाते हैं, लेकिन ये फैसले समाज के विभिन्न वर्गों के बीच विभाजन का कारण भी बने। समर्थकों ने इसे साहसिक और निर्णायक बताया, जबकि आलोचकों ने इसे “सांप्रदायिक ध्रुवीकरण” और “स्वतंत्रता का हनन” करार दिया।

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