……….अब जीवन जीवंत हो गया
आज फिर छोड़ गया कोई भूला स्पर्श मेरे आंगन में,
उसकी किलकारी में ममता की चाह थी,
मेरे जर्जर करो ने उसे थामा,
अरुणोदय की लालिमा युक्त तुम्हारा मुख,
उसके कोमल कपोल को सहलाया,
उसके गुलाब की पंखुड़ी तम ओष्ठ ,
उस पर अंकित मुस्कान,
उसके दिल की धड़कन,
जैसे मुझसे एकाकार हो गई,
कुछ पुराना याद हो आया जैसे,
मैं पूर्णतया भावुक हो गई,
एक ताजगी, एक एहसास,
एक खूबसूरती , एक आस,
एक रिश्ता एक विश्वास,
चहक उठी मुस्कान, उल्लास की चुनरी ओढ़े मेरे घर आया एक नन्हा सा फरिश्ता ,
क्षण भर को मैं ठिठकी ,
नयन अश्रुओं से परिपूरित हो गए,
जो रूठ गया था कभी मुझसे ,आज नव रूप लिए वापस आया है,
ईश ने अभिनंदन करके दिया मेरे जीवन का आधार,
मेरे जीवन – पथ की नई यात्रा का आगाज,
तुम्हारे चरण कमलों के आने से अब जीवन जीवंत हो गया।
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डॉ. ऋतु नागर
मां के आंचल में छुप जाऊं , बाबा की बाहों में समा जाऊं,दो पल के लिए ही सही उस बचपन में लौट जाऊं
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