लखनऊ। सावन के महीने में सूर्य का राशि परिवर्तन महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे कर्क संक्रांति कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य एस.एस. नागपाल ने बताया कि 16 जुलाई को सूर्य कर्क राशि में आएंगे। यह संक्रांति इस लिए भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि सूर्य इस दिन से दक्षिणायन होंगे। इस दिन से दक्षिणायन की शुरुआत होती है, जो मकर संक्रांति तक चलती है। इसी के साथ कर्क राशि से लेकर 6 राशियों कर्क, सिंह, कन्या, तुला वृश्चिक और धनु राशि की सूर्य की यात्रा की अवधि के मध्य पितरों का दिन और देवताओं की रात्रि आरम्भ हो जाएगी। पिता-पुत्र सूर्य और शनि कर्क और मकर राशि में एक दूसरे के आमने-सामने आ जाएंगे। ज्योतिषाचार्य आनन्द दुबे के अनुसार श्रावण मास में आने वाली संक्रांति में पूजा और दान का विशेष महत्व है। सूर्य का गोचर कर्क राशि में 16 जुलाई को सुबह 11ः32 होंगा। एक माह बाद 16 अगस्त को सूर्य कर्क राशि में सायं 07ः27 तक इसी राशि में रहेगा। इस दिन से मानसून सक्रिय हो जाता है। कर्क संक्रांति के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन तुलसी के पत्र से भगवान विष्णु की पूजा करना श्रेष्ठ फलदायी माना गया है. इस दिन सूर्य देव को जल अर्पित करें और दान करें. ऐसा करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है।
कामिका एकादशी आज
कामिका एकादशी गुरुवार को मनाई जाएगी। श्रावण माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन कामिका एकादशी व्रत रखा जाता है। इसे पावित्रा एकादशी भी कहते हैं। ज्योतिषाचार्य आनन्द दुबे ने बताया कि मान्यता है कि इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत फलदायी होता है।
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