लखनऊ/ ग्वालियर। अक्षय तृतीया दो शब्दों से मिलकर बनी है। प्रथम शब्द है अक्षय जिसका अर्थ है जो कभी क्षय (खत्म) ना हो। तृतीया से अभिप्राय तृतीया तिथि से है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है। इसे आखातीज अकती और अखाती तीज आदि नामों से जाना जाता हैं।
अक्षय तृतीया वह तिथि है जिसमें सौभाग्य और शुभ फल का कभी क्षय नहीं होता है। इस दिन किए जाने वाले कार्य कभी न खत्म होने वाले शुभ फल प्रदान करतें हैं। इस बार तृतीया तिथि 25 अप्रैल को सुबह 11.51 से प्रारंभ होगी तथा 26 अप्रैल को दोपहर 1.22 तक रहेगी। परंतु इस बार कोरोना के चलते शादी-विवाह तथा अन्य मांगलिक कार्य नहीं हो पाएंगे। अगला अबूझ मुहूर्त 29 जून भडली नवमी के दिन है। इसके बाद एक जुलाई देव शयनी एकादशी होने से देवता सो जाएंगे। 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ देवता जाग जाएंगे और इस दिन से विवाह शुरू हो सकेंगे।
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