मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। 2017 में ऑक्सीजन की कमी से गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुये 60 बच्चों की मौत के मामले में निलंबित होकर सुर्खियों में आये डॉक्टर कफील हाईकोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार की देर रात मथुरा जेल से रिहा हो गये।
कांग्रेस नेताओं के संपर्क में चले जाने के बाद समाजवादी पार्टी ठगा सा महसूस कर रही है। कफील की रिहाई को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुशी जताई है। बुधवार सुबह एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि डॉ.कफील की रिहाई का देश-प्रदेश के सभी इंसाफ पसंद लोगों ने सहर्ष स्वागत किया है। अखिलेश यहीं नहीं रुके कफील की रिहाई के बहाने पत्नी-बेटे के साथ सीतापुर जेल में बंद सपा नेता आजमखान का दुःख कुरेद दिया। ऐसा माना जा रहा है कि जैसे-जैसे 2022 का विधानसभा चुनाव निकट आयेगा समाजवादी पार्टी के लिये आजमखान ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल का विषय बन जायेंगे। बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री ने सपा के वरिष्ठ नेता और सांसद आजम खान को याद करते हुए कहा कि योगी सरकार द्वारा उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाए जाने का आरोप लगाया। अपने ट्वीटर हैंडल पर उन्होंने लिखा कि उम्मीद है कि झूठे मुकदमों में फंसाए गए आजम खान को भी शीघ्र ही न्याय मिलेगा। सत्ताधारियों का अन्याय और अत्याचार हमेशा नहीं चलेगा। उन पर किसानों की जमीन जबरन हथियाने से लेकर किताब चोरी तक के कई मुकदमे दर्ज हैं। इसके पहले 14 अगस्त को आजम खां के जन्मदिन पर भी अखिलेश यादव ने उन्हें बेगुनाह बताते हुए शायराना अंदाज में अपनी बात कही थी। अखिलेश ने अपने ट्वीटर पर लिखा था-‘झूठ के कितने जाल बिछा लो सच तो फिर भी आज़ाद रहेगा। लेकिन समाजवादी पार्टी आजमखान को लेकर समय रहते कोई राज्यव्यापी आंदोलन भी नहीं खड़ी किया है।इस संदर्भ में वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र नाथ तिवारी ने कहा कि अखिलेश आजमखान के प्रति उतने ईमानदार नहीं दिखे जितना होना चाहिये। सपा ने उन्हें चुनाव का सामान बना लिया है। पहले आजमखान ने सपा का उपयोग किया अब सपा समय आने पर आजमखान का उपयोग करेगी। मेरी दृष्टि में न आजमखान सपा के प्रति ईमानदार हैं और न सपा आजमखान के साथ। दोनों राजनैतिक विवशता के चलते एक-दूसरे के लिये उपभोग की वस्तु बन गये हैं।जब मौका आएगा तो दोनों एक-दूसरे को साधेंगे।