मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उत्तर प्रदेश रामगोविंद चौधरी ने कहा है कि गेहूँ, धान, दलहन, तिलहन और आलू के न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण बाजार में बिक रहे पैक आंटा, पैक चावल, पैक दाल, पैक तेल और पैक चिप्स आदि के मूल्य के आधार पर निर्धारित हो। इसी तरह प्याज और सब्जी का भी अनुपातिक मूल्य निर्धारित हो।
इस निर्धारण में सरकारें यह सुनिश्चित करें कि गेहूँ, धान, दलहन, तिलहन, आलू प्याज और सब्जी के न्यूनतम समर्थन मूल्य और पैक आंटा, पैक चावल, पैक दाल, पैक तेल, पैक चिप्स तथा आलू और सब्जी के बाजार खेत मूल्य में अंतर किसी भी हाल में दस फीसदी से अधिक का नहीं हो। शुक्रवार को बलिया जिले की बाँसडीह विधानसभा के मनियर ब्लाक के बड़ागांव में समाजवादी पार्टी के घेरा चौपाल को सम्बोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष चौधरी ने कहा कि भारत किसानों का देश है।यहां होना यह चाहिए कि किसान उत्पादित सामानों का मूल्य निर्धारण किसान खुद करे। लेकिन ठीक इसके उलट हो रहा है। यहाँ तो किसान के हाथ में केवल लाचारी है। कोई भी सामान जब किसान पैदा करता है तो उसका बाजार मूल्य लागत से भी कम पर आ जाता है। वही सामान जब अम्बानी और अडानी या इनके जैसे बड़े व्यापारियों के हाथ में होता है तो उसका मूल्य आसमान छूने लगता है। उन्होंने कहा कि इस उल्टी व्यवस्था से किसानों के देश में किसान एक लाचार व्यक्ति के रूप में जी रहा है। किसानों की यह लाचार स्थिति किसी भी हाल में समाप्त होनी चाहिए।
रामगोविंद चौधरी ने कहा कि खेती बारी और किसानी की रक्षा के लिए इस देश के एक करोड़ से अधिक किसान सड़क पर सत्याग्रह कर रहे हैं। किसानों के इस शांतिपूर्ण आंदोलन ने सम्पूर्ण विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। हर संवेदनशील आदमी इस सत्याग्रह का समर्थन कर रहा है। दूसरी ओर भारत सरकार के मंत्री इस आन्दोलन के खिलाफ लगातार अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं। उन्होंने अभद्र टिप्पणी करने वाले मंत्रियों को सरकार से निकालने की मांग करते हुए कहा है कि भारत सरकार इन तीनों विवादस्पद कृषि कानूनों को वापस लेकर सत्याग्रह कर रहे किसान संगठनों से अविलम्ब बातचीत करे। यही सम्पूर्ण देश के हित में है। नेता प्रतिपक्ष ने भारत सरकार से कहा है कि वह किसानों के धैर्य की परीक्षा लेने से बाज आए।मोदी सरकार इस मामले में शीघ्र गम्भीर पहल करे। ऐसा नहीं करने पर यह शांतिपूर्ण आंदोलन उग्र हो सकता है। ऐसा हुआ तो इसकी जिम्मेदारी पूर्ण रूप से भारत सरकार की होगी।उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथियों से कहा है कि वह जहाँ हैं, वहीं से किसान आंदोलन का समर्थन करें और सत्याग्रह कर रहे किसानों की मदद करें।