गुजरात मे रिमोट, यूपी भाजपा में विस्फोट!

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मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बढ़ते दबदबे से भविष्य की असुरक्षा देख भाजपा के गुजरात नेतृत्व ने योगी का पर कतरने का इंतजाम कर दिया है। गुजरात कैडर के वरिष्ठ आईएएस को दो वर्ष नौकरी रहते स्वैच्छिक सेवा निवृत्त देकर 24 घंटे के भीतर लखनऊ में भाजपा की सदस्यता दिलायी गयी।

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फके खबर यह फैलायी गयी कि यूपी के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के स्थान पर उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया जायेगा। मकरसंक्रांति का पर्व मनाने गोरखपुर गये मुख्यमंत्री जब लौटे तब तक राजधानी में एक और पावर सेंटर स्थापित हो चुका था। राज्य की जो नौकरशाही मुख्यमंत्री के टीम 11 में रह कर गौरवांवित हो रही थी शुक्रवार को वही यह कहते घूम रही थी कि दिल्ली से भेजे गये पूर्व आईएएस अधिकारी अरविंद शर्मा उनके बैचमेट हैं। फिर क्या, बताते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शिरदर्द बढ़ाने के लिये इतनी सी खबर पर्याप्त रही। अब बताया जा रहा कि योगीराज में नौकरशाही बेलगाम थी जिसे नये वाले शर्मा न सिर्फ नियंत्रित करेंगे बल्कि योगी से उपेक्षित मंत्रियों, विधायकों की भी फरियाद सुनेंगे। उत्तर प्रदेश में भाजपा को अपनी तरह से हांकने के लिये प्रदेश महामंत्री सुनील बंसल पहले से बदनाम हो चुके हैं। बंसल ने पार्टी के कई ऐसे नेताओं को नेपथ्य में ढकेल दिया जो समाजवादी पार्टी की सरकार से निपटने में अपना खून-पसीना एक कर दिये थे।पिछले 6 वर्षों अपनी पसंद की टीम स्थापित करने के चक्कर में यूपी भाजपा को चंद चेहरों में समेट दिया है।

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बंसल ने अपने विश्वसनीय लोगों को पहले पार्टी का वोहदेदार बनाया, फिर राज्य स्तरीय मंत्री के बराबर के निगमों पर बैठाया। इस पर भी संतुष्ट न हो सकने वाले संगठन के पूर्ण कालिक लीडर ने विधानपरिषद में भी अपने ही लोगों को भेजने का तानाबाना बुन लिया। परिणामस्वरूप चंद वर्षों में पार्टी में आये लोग विधानपरिषद और मंत्रिमंडल में पहुंच गये और वर्षों से जूझ रहे कार्यकर्ता हाशिये पर रह गये।गुजराती नेतृत्व (मोदी-शाह) चाहता है कि यूपी से उनकी सत्ता को कोई चुनौती देने वाला न पनप सके इस लिये अरविंद कुमार शर्मा लखनऊ भेज दिया। एके शर्मा लखनऊ आते ही यह संदेश देने लगे कि वह यहां केंद्र की योजना से राज्य सरकार पर अपना हुक्म जमाने आये हैं। लेकिन दो दिनों में वह जातीय और अपने गृह जनपद व आस पास के लोगों से ही घिरे रहे। यूपी ने उनकी जाति से दो बड़े नेता प्रदेश सरकार में पहले से मंत्री हैं। जानकारों की मानें तो एके शर्मा यूपी में तीसरे शक्ति स्थल होने को आतुर हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजदीकी नौकरशाह का प्रमाणपत्र दिखा कर सब पर धौंस दिखाने आये थे, लेकिन 24 घण्टे के भीतर उनकी जातीय कॉकस में घिरने उन्हें राजनैतिक समीक्षकों के नुशाने पर ला दिया है। जिन लोगों के दलाली की दुकान पर योगी ने ताला जड़ा है वह लोग पूरी ताकत लगा कर शर्मा के पीछे खड़े दिख रहे हैं। योगी कुछ कर पाये हों या न कर पाये हों लेकिन यूपी में चरित्रहीन या आर्थिक बेईमान छवि का चाहे जितना बड़ा कॉकस एक हो जायेगा योगी का कुछ बिगाड़ नहीं पायेगा।बताया जा रहा है कि अरविंद कुमार शर्मा जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं को लगातार हो रही प्रशासनिक उपेक्षा से उबारने आये हैं। गुजरात नेतृत्व द्वारा फिर भी योगी को काबू करने का प्रयास शेर को पिंजरे में बंद करने जैसा कठिन कार्य साबित होगा। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और कद्दावर मंत्री महेंद्र सिंह यूं तो टीम योगी में स्थापित हो चुके हैं लेकिन केंद्रीय नेतृत्व का इशारा होते ही यह कब वहां से गायब हो जायेंगे यह उन्हें भी नहीं पता होगा

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