गुरुवार से शुरू विधानमंडल की बैठक में गूंजेगी इसकी गूंज
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने लखनऊ में करोड़ों के गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में चार्जशीट दाखिल कर दिया है।सीबीआई ने सिंचाई विभाग के तत्कालीन सुपरिटेंडेंट इंजीनियर रूप सिंह यादव, सिंचाई विभाग के जूनियर असिस्टेंट राजकुमार यादव, केके स्पन पाइप प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर हिमांशु गुप्ता, कविश गुप्ता, केके स्पन पाइप प्राइवेट लिमिटेड और ब्रांड ईगल लोंगिजेन जेवी के सीनियर एडवाइजर बद्री श्रेष्ठा के खिलाफ ये चार्जशीट दाखिल की है।
सीबीआई स्पेशल कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में सीबीआई ने इन्हें जालसाज़ी, धोखाधड़ी और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धाराओं में आरोपी बताया है। सीबीआई ने 30 नवंबर 2017 को उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश के बाद रिवर फ्रंट घोटाले में एफआईआर दर्ज की थी। इससे पहले सूबे में योगी सरकार बनने के साथ ही गड़बड़ी की शुरुआती जांच के बाद गोमती नगर थाने में एक एफआईआर दर्ज हुई थी। ये एफआईआर गोमती रिवरफ्रंट के निर्माण और सुंदरीकरण में हुई वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी थी। जांच में सामने आया कि बार-बार गोमती रिवर फ्रंट निर्माण के एस्टीमेट को बढ़ाया गया था। यही नहीं कुछ कंपनियों को नियम कानूनों के खिलाफ जाकर काम दिया गया था। इस मामले में 19 नवंबर 2020 को रूप सिंह यादव और राजकुमार यादव को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।
बता दें गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ स्वीकृत किए थे, जिसमें से 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ। 95 फ़ीसदी बजट जारी होने के बाद भी 40 फीसदी काम अधूरा ही रहा। इस मामले में 2017 में योगी सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। आरोप है कि डिफाल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया था। पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था। मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच कराई गयी।
जांच रिपोर्ट में कई खामियां उजागर हुईं। इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र को पत्र भेज दिया। इस मामले में 19 जून 2017 को गौतमपल्ली थाना में 8 के खिलाफ अपराधिक केस दर्ज किया गया। इसके बाद नवंबर 2017 में भी ईओडब्ल्यू ने भी जांच शुरू कर दिया। दिसंबर 2017 मामले की जांच सीबीआई चली गई और सीबीआई ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दिया। दिसंबर 2017 में ही आईआईटी की टेक्निकल टीम द्वारा जांच भी की गई। इसके बाद सीबीआई जांच का आधार बनाते हुए मामले में ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया। गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़ें इंजीनियरों पर दागी कम्पनियों को काम देने, विदेशों से मंहगा समान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विेदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं कराने का आरोप है। इस मामले में 8 इजीनियरों के खिलाफ पुलिस, सीबीआई और ईडी मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है।
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