मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। राजधानी लखनऊ स्थिति एसजीपीजीआई ने कोरोना वायरस की जांच के लिए एक किट विकसित करने का दावा किया है। इस किट से महज 30 मिनट में वायरस की जांच सम्भव होगी। इस पर खर्च करीब 500 रुपया आएगा।
पीजीआई के मालीक्यूलर मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलोजी विभाग ने किट के पेटेंट के लिए आवेदन किया है। इस संदर्भ में मॉलीक्यूलर मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलोजी विभाग की प्रमुख डॉ. स्वास्ति तिवारी के मुताबिक कोरोना की जांच काफी मंहगी है। जांच में काफी वक्त लग रहा है। रैपिड से जांच रिपोर्ट जल्द आए। खर्च में भी कमी आएगी। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों ने जांच तकनीक का परीक्षण सिंथेटिक कोरोना आरएनए (राइबो न्यूक्लिक एसिड) पर किया। जिसमें वह सफल रही है। सीधे मरीज के नमूने के पर जांच नहीं किया जाता है। यह जांच तकनीक भी आरएनए आधारित ही है। मरीज के नमूने से आरएनए निकाल कर उसमें ही संक्रमण देखा जाएगा। हालांकि उन्होंने पेटेंट के लिए आवेदन किए जाने की वजह से किट के तकनीकी पहलुओं का खुलासा करने से इंकार कर दिया। पेटेंट के बाद किट की वैधता की जांच के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। अनुमोदन मिलने के बाद कंपनियां किट का निर्माण करेंगी। इसके लिए कई कंपनियां भी संपर्क में हैं। डॉ. स्वाति तिवारी ने बताया कि किट विकसित करने वाली टीम में डॉ. रजनी शर्मा, डॉ. सुमन मिश्रा और डॉ. विनोद शामिल हैं। अभी तक विदेश से आयातित किट पर जांच चल रही है जिसमें चार से पांच हजार का खर्च आता है। इस जांच में पीसीआर तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। पीजीआई ने विकसित इस किट में पीसीआर तकनीक का इस्तेमाल नहीं होगा। जिसके कारण जांच रिपोर्ट जल्दी मिलेगी। संक्रमण का पता लगाने के लिए मरीज के गले और नाक से स्वाब लिया जाता है। स्वाब सेल से आरएनए कालम तकनीक से निकालते है। यह 15 मिनट में निकल जाता है। इसी आरएनए से संक्रमण की पुष्टि करेंगे। इसकी जांच रिपोर्ट मौजूदा जांच के मुकाबले ज्यादा सटीक होगी।