डॉ भी बोले कि यह किसी चमत्कार से कम नहीं
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। पीजीआई लखनऊ के इतिहास में पहली बार हुआ पैरा थायरॉइड का दूरबीन विधि द्वारा सफल आपरेशन किया गया।कोरोना के कारण जब रोगियों को साधारण इलाज भी मिल पाना भी मुश्किल है, तब पीजीआई के डॉक्टर ज्ञान चंद ने बड़ी कठिन सर्जरी को सफलता से कर के एक कश्मीरी महिला के जीवन को खुशी से भर दिया। मरीज़ याशमीन मूलतः कश्मीर की रहने वाली हैं।
देश भर के कई अस्पतालों में भटकने के बाद उन्होंने ने पीजीआई लखनऊ के इंडोक्राइन सर्जरी विभाग के वरिष्ठ प्रोफ़ेसर ज्ञान चन्द से परामर्श लिया। लम्बी जाँच पड़ताल के बाद प्रो. ज्ञान ने पैरा थायरॉइड का आपरेशन दूरबीन द्वारा करने का निश्चय किया। जो कि चिकित्सकों के बीच अब तक असम्भव सी शल्य क्रिया मानी जाती रही है। किंतु अपनी सूझ-बूझ और संकल्प के बल पर प्रो. ज्ञान चंद द्वारा किये गये इस इस ऑपरेशन के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में लखनऊ पीजीआई को राष्ट्रव्यापी चर्चा मिल रही है। इसी शल्य चिकित्सा के लिए मरीज़ याशमीन और उनके पिता बसीर दिल्ली के एक बड़े अस्पताल गये थे। जहाँ उन्हें बताया गया कि गले पर कट लगा कर ट्यूमर निगाल देंगे। जिसपर 26 वर्षीया याशमीन जिनकी हाल ही में शादी हुई है वह राज़ी नहीं हुईं। उनके पिता बसीर स्वयं श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के सेवा निवृत्त प्रोफ़ेसर हैं। उन्होंने बताया कि हम अपनी बेटी को ऑपरेशन के बाद गले पर आने वाले निशान से बचाने की मंशा से अपने कई डॉक्टर मित्रों से सम्पर्क किये। जिसमें से एक डॉक्टर ने उनको डॉक्टर ज्ञान चंद के बारे में बताया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा सम्मेलन दिल्ली के दौरान एसजीपीजीआई के प्रोफ़ेसर ज्ञान को दूरबीन विधि से थाइरॉड की लाइव सर्जरी करते देखा था। याशमीन अपनी गर्दन पर बिना निशान वाली सफल सर्जरी से बेहद खुश हैं।उनके पिता ने डॉक्टर ज्ञान के इस कौशल को पूरे एशिया में श्रेष्ठतम उपलब्धि बताया। इस दुर्लभ कार्य पर पीजीआई लखनऊ के निदेशक प्रोफ़ेसर धीमान ने कहा यह इस कोरोना काल के दौरान पीजीआई में सर्जरी का पहला सफल ऑपरेशन है। प्रोफेसर धीमान ने कहा कि पीजीआई में कोविड काल में बीएबीए विधि से किया गया पहला सफल इंडोस्कोपिक सर्जरी है। यह इस प्रकार का पहला ऑपरेशन है,जो उत्तर प्रदेश के किसी सरकारी अस्पताल मेंं किया गया है।इस संदर्भ में प्रोफेसर ज्ञान चंद ने दोका सामना को बताया कि पीजीआई को छोड़ कर सभी जगह इसकी ओपन सर्जरी होती है। इसके लिये गले पर चीरा लगाया जाता है। अमूमन रोगी चीरा लगवाने से बचना चाहते हैं। हालांकि की लापरवाही करने से इसमें कैंसर होने का खतरा रहता है। धीरे-धीरे लोगों को पीजीआई में दूरबीन विधि से पैरा थायरॉइड के इलाज की जानकारी हो रही है। हर सप्ताह एक-दो रोगी आउट डोर में आने लगे हैं। उन्होंने बताया कि थायरॉइड की समस्या आयोडीन की कमी के साथ अनुवांशिक होता है।