जल जीवन मिशन-
गावों के घरों में हो रही है नल से पीने के पानी की आपूर्ति
लखनऊ। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा घरों में नल से शत प्रतिशत पीने के पानी के आपूर्ति की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन धीरे-धीरे ही सही लेकिन अब आकार लेती जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 की वैश्विक बाधा के बावजूद अब तक सात करोड़ घरों में नल से पीने के पानी की आपूर्ति हो रही है।
उप्र में आवश्यक जनशक्ति की तुलना में केरल और तमिलनाडु में आवश्यक जनशक्ति भी बहुत कम है। इसके अलावा उपलब्ध विवरण के अनुसार उप्र में लगभग 79,464 गाँव हैं जहाँ बिना पाइप के पानी की आपूर्ति (पीडब्लूयस) होती है जबकि केरल में पीडब्लूयस के बिना गाँवों की संख्या केवल 16 है और तमिलनाडु में पीडब्लूयस के बिना कोई गाँव नहीं है।
आरोप लगाने से पहले यह देखा जाना चाहिए था कि बुनियादी ढांचे का काम तमिलनाडु और केरल में पहले ही पूरा हो चुका है जबकि उप्र में ऐसा किया जाना बाकी है। इसलिए परियोजना का आकार और आवश्यकताएं केरल और तमिलनाडु की तुलना में उप्र में बहुत अलग और अधिक हैं।
यहां यह बताए जाने की आवश्यकता है कि जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण जल आपूर्ति योजनाओं के लिए पूर्व में संपन्न कार्यो में एजेंसियों को नियुक्त करने हेतु राज्य विभिन्न दृष्टिकोण अपना रहे हैं।
कुछ राज्यों ने जल जीवन मिशन के तहत पीएमसी/टीपीआई/एसक्यूसी कार्यों के लिए कई निविदाएं मंगाई हैं और कुछ जैसे कि उप्र ने इन सभी गतिविधियों (पीएमसी+टीपीआई+एसक्यूसी) को मिलाकर एक निविदा जारी की है। इसलिए उप्र में ज्यादा दरों पर निविदाएं मंगाई गईं।
यह लगे है आरोप-
जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल से जल योजना में 1500 करोड़ रुपये के भारीभरकम घोटाले का नया आरोप लगा है। कहा गया कि राज्यों में जल जीवन मिशन से संबंधित परियोजनाओं की थर्ड पार्टी जांच दूसरी संस्थाओं से कराए जाने की व्यवस्था है जिसके लिए परियोजना लागत के 0.40 प्रतिशत के खर्च पर टेंडर किया जा सकता है, जबकि उप्र में संबंधित मंत्री ने अपनी चहेती फर्मों को 1.33 प्रतिशत की खर्च पर टेंडर दिया है। इसमें तमिलनाडु और केरल राज्य का उदहारण दिया गया।
हकीकत जानने की कोशिश में पता चला कि उप्र में योजना के तहत राज्य के सभी 75 जिलों में विभिन्न ग्रामीण जल आपूर्ति परियोजनाओं के प्रगति के तीसरे पक्ष के निरीक्षण और निगरानी के लिए सलाहकार की नियुक्ति हेतु एक निविदा जारी की गई है।
जबकि तमिलनाडु और केरल द्वारा केवल वर्तमान में चल रहे कार्यों के तीसरे पक्ष के निरीक्षण के लिए निविदाएं जारी की हैं, जिसमें एजेंसियों द्वारा परियोजना निगरानी करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
PRASTUTI-Vivek Verma