फरार आईपीएस बने यूपी पुलिस के लिए सिरदर्द!

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मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस इन दिनों फरार चल रहे अपने दो आईपीएस अफसरों की तलाश में खाक छान रही है। एक आईपीएस अफसर का नाम है अरविन्द सेन तथा दूसरे का नाम माणिकलाल पाटीदार है। आनंदसेन 2003 बैच के आईपीएस हैं तथा डीआईजी के पद पर तैनात थे।

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यूपी सरकार ने अरविन्द सेन को 22 अगस्त को निलंबित कर दिया था। माणिकलाल पाटीदार 2014 बैच के आईपीएस है, अंतिम समय यह महोबा के एसपी थे। योगी सरकार ने मणिलाल पाटीदार को नौ सितंबर को निलंबित कर दिया था। ये दोनों अलग-अलग मामलों में अभियुक्त हैं, अब अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हैं। पशुपालन विभाग में आटे की सप्लाई के नाम पर हुए फर्जीवाड़े में आरोपी आईपीएस अरविन्द सेन की तलाश में पुलिस ने मंगलवार को भी दो स्थानों पर दबिश दी। सहारा शहर के पास उनके घर और एक रिश्तेदार के यहां पुलिस दो बार पहुंची। दोनों जगह पर अरविन्द सेन नहीं मिले। उधर कुछ वजह से पुलिस अरविन्द सेन का गैर जमानती वारन्ट नहीं ले सकी है। पशुपालन फर्जीवाड़े की रिपोर्ट 13 जून को पीड़ित व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया ने एफआईआर कराई थी। इसमें पशुधन राज्यमंत्री जय प्रकाश निषाद के निजी प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, आशीष राय, एके राजीव समेत 12 लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं।इसमें फरार सिपाही दिल बहार यादव और आईपीएस (निलम्बित डीआईजी) अरविन्द सेन पुलिस के लिये चुनौती बने हुए हैं। इनकी तलाश में दबिश दी जा रही है। एसीपी गोमती नगर श्वेता श्रीवास्तव के नेतृत्व में दो टीमों ने गोमती नगर में सहारा शहर के पास अरविन्द सेन के मकान में दबिश दी। यहां किसी न न मिलने पर एक टीम उनके गोमती पार रहने वाले उनके एक रिश्तेदार के घर भी गई।यहां मौजूद लोग अरविन्द सेन के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सके। दूसरे महोबा एसपी रहे मणिलाल पाटीदार पर 10 सितंबर को मुकदमा दर्ज किया गया था। लखनऊ स्थित भ्रष्टाचार निवारण की अदालत ने मणिलाल पाटीदार के खिलाफ वारंट जारी कर रखा है। उनकी गिरफ्तारी के लिए आईजी रेंज के स्तर से एसआईटी तक गठित है। महोबा की पुलिस टीमें उनकी गिरफ्तारी के लिए दिल्ली से लेकर राजस्थान तक दबिश दे रही हैं लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है। महोबा के क्रेशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी के वायरल वीडियो से विवादों में आए मणिलाल बाद में कई गंभीर आरोपों में जकड़ गए। एसआईटी ने उन्हें भ्रष्टाचार एवं इंद्रकांत को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का दोषी माना है।

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