भदोही में दिन दहाड़े नाबालिग दलित की हत्या,

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तीनों नामजद आरोपी पकड़े गये

पुलिस अंत्येष्टि के दबाव बनाती है -रामगोविंद चौधरी

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मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।भदोही जिले के गोपीगंज थाना क्षेत्र के एक गांव में एक किशोरी की इज्जत पर हाथ डाला गया और दुष्कर्म की कोशिश की गई।किशोरी ने विरोध किया तो आरोपियों ने उसे पीट-पीटकर मार डाला। घटना गुरुवार को दोपहर दो बजे की है। किशोरी सड़क पर निकली थी, जहां उसे खींच लिया गया। जब वह काफी देर तक घर नहीं लौटी तो उसकी तलाश परिजनों ने शुरू की तो किशोरी लहूलुहान हालत में मिली।पुलिस अधीक्षक रामबदन सिंह ने दोका सामना को बताया कि लड़की के परिजनों की ओर से मिली तहरीर के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी। आरोपी वारदात को अंजाम देकर मौके से फरार हो गये। नामजद तीनों आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं। तीनों आरोपियों के नाम कुंदन, प्रिंस और कलेक्टर है। यह तीनों लड़की के पड़ोसी व दलित समाज से ही है। पुलिस के अनुसार, किशोरी के सिर पर चोट आई है, संभवत: हेड इंजरी की वजह से मौत हुई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद शेष कार्रवाई की जायेगी।दोपहर में किशोरी जब काफी देर तक घर नहीं लौटी तो परिजन परेशान होकर उसे खोजने निकले। पूछताछ करके किशोरी जिस ओर गई थी उधर तलाश की गई तो वहां परिजनों ने किशोरी को गंभीर हाल में देखा तो आनन फानन पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी तो पुलिस ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए परिजनों और आसपास के लोगों से पूछताछ कर आरोपितों को चिह्नित करने की कोशिश की। पुलिस अधीक्षक दल-बल के साथ घटनास्थल और किशोरी के घर तक कई बार सुबूत खंगालने की जुगत में लगे रहे।एक तरफ हाथरस और बलरामपुर में युवती संग सामूहिक दुष्‍कर्म करने और हत्‍या का मामला सामने आने के बाद से ही कानून- व्‍यवस्‍था को लेकर सरकार की थू-थू हो रही है। दूसरी ओर भदोही जिले में यह मामला कहीं तूल न पकड़ ले लिहाजा पुलिस प्रशासन भी सक्रियता से आरोपितों को चिह्नित करने में लगा हुआ था। उन्होंने पुलिस की टीमों का गठन कर हत्यारों को सामने लाने के निर्देश दे दिए गए हैं। पुलिस प्रशासन के अनुसार, कुछ अहम सुराग मिलने के बाद पुलिस सक्रियता से लगी थी। नामजद तीनों हत्‍या आरोपी पकड़े जा चुके हैं। तीनों लड़की के पड़ोसी थे। उनके नाम कुंदन, प्रिंस और कलेक्टर हैं। इस संदर्भ में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधर ने कहा यूपी में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। पुलिस घटनास्थल पर ही पीड़ितों का शव कब्जे में लेकर परिवार पर दबाव बना कर अंत्येष्टि करा के सुबूत मिटाने में सरकार की हथियार बनी हुई है। वैसे भी हिन्दू धर्म में बिना घर-परिवार लोगों के अंत्येष्टि नहीं की जाती। यहाँ काशी को छोड़ कर रात के अंधेरे में जो कि धर्म विरुद्ध है कहीं अंत्येष्टि नहीं किया जाना चाहिये।

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