नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का तिरंगे से संबंधित बयान अब उन पर भारी पड़ सकता है। आने वाले समय मैं मुफ्ती पर कानूनी शिकंजा कसने की संभावना अब बढ़ गई है। इस मुद्दे को लेकर एक याचिका दायर की गई है, जिसमें मुफ्ती के बयान को राष्ट्र विरोधी बताते हुए उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की गई। उल्लेखनीय है कि मुफ्ती ने पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बयानबाजी की थी। ऐसा नहीं कि मुफ्ती ने इस तरह का विवादित बयान पहली बार दिया है इससे पहले भी वह इस तरह के बयान देने की आदी हो चुकी हैं, ऐसे में अगर इस बार उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई हो जाती है तो आने वाले समय में यह उनके लिए एक कठोर सबक साबित होगा। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के तिरंगा न उठाने के बयान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली एक याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि महबूबा मुफ्ती का बयान राष्ट्रध्वज का अपमान करने वाला है।
याचिका वकील विनीत जिंदल ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब पत्रकारों ने डेस्क पर रखे जम्मू-कश्मीर के झंडे के बारे में पूछा तो महबूबा मुफ्ती ने उसे अपना झंडा बताया। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान महबूबा ने बताया कि हम तिरंगा तभी अपने हाथ में लेंगे जब हमारा झंडा हमें वापस मिलेगा। हम जम्मू-कश्मीर के झंडे के अलावा दूसरा झंडा नहीं लहराएंगे। उन्होंने अपने इस बयान से ऐसा जताने की कोशिश की कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है और उसका अपना अलग अस्तित्व है। याचिका में कहा गया है कि महबूबा मुफ्ती के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया जाए।
याचिका में कहा गया है कि महबूबा ने भारत सरकार के खिलाफ अपमानजनक बयान दिया है। महबूबा के बयान दो समुदायों में घृणा और तनाव पैदा करने वाला है। उनके बयानों से कानून का पालन करने वाले हर नागरिक की भावनाएं आहत हुई हैं। याचिका में मांग की गई है कि महबूबा मुफ्ती के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट की धारा 4 और राजद्रोह और दंगा फैलाने की नीयत से भड़काऊ भाषण देने के लिए भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की जाए।