ये वक्त ही तो है आया है तो गुजर जाएगा ,
ये ना किसी का हो पाया है ,ना हो पाएगा
दुख आया है तो सुख भी आयेगा ,
बुरा है तो अच्छा भी आयेगा ,
ये भयानक मंज़र भी गुज़र जाएगा
कभी कोई रोक पाया है इस वक्त को?
वक्त रूका नहीं कभी किसी के लिए ,
क्या कोई वक्त से लड़ पाया कभी?
वक्त ही तो है जो लोगो के चेहरों से नकाब हटा देता है ,
वक्त अपना क्या गैरो का भी हो पाया कहीं?
क्या फूल किसी डाली से टूट, जुड़ पाया कहीं?
हा! ये वक्त ही तो है जो नई उम्मीद जगाता है ,
उस टूटी हुई डाली से नई कलियां खिलाता है ,
निराश ना होना ओ मानव !
वक्त कमजोर है ,बेबस है पर तू नहीं ,
ये वक्त ही तो है,आया है तो गुज़र जाएगा।
डॉ. ऋतु नागर
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