हिंदुत्व की मैथालॉजी पर भारी पड़ी भाजपा की जाति नीति!
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार का दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार हुआ। शपथ ग्रहण कार्यक्रम राजभवन के गांधी सभागार में हुआ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में सात नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सबसे पहले कैबिनेट मंत्री के रूप में कांग्रेस से आये जितिन प्रसाद को शपथ दिलाया। जितिन प्रसाद (ब्राह्मण) को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। राज्यमंत्री के रूप में बरेली के छत्रपाल गंगवार (कुर्मी), पलटूराम (सोनकर), संगीता बलवंत बिंद (निषाद), संजीव कुमार गोंड(अनुसूचित जनजाति), दिनेश खटीक (सोनकर),धर्मवीर प्रजापति (कुम्हार) को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। उत्तर प्रदेश में लम्बे समय से चल रही योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा पर आज विराम लग गया। आज ही भाजपा ने सरकार द्वारा प्रस्तावित व राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये जाने वाले चार विधानपरिषद सीटों के लिये नाम तय कर दिया।
विधान परिषद के लिए सरकार ने भेजे नाम इस प्रकार हैं। चौधरी वीरेंद्र सिंह गुर्जर शामली,गोपाल अंजान भुर्जी मुरादाबाद, जितिन प्रसाद शाहजहांपुर और निषाद पार्टी के डॉ संजय निषाद, गोरखपुर का नाम राजभवन भेजा गया है। विपक्ष में रहते हुये सपा-बसपा सरकार में जेल जाने वाले कुंवर सिंह निषाद को पार्टी ने इतना बेज्जत किया कि वह दूसरी किसी पार्टी में नहीं गया लेकिन निषादों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग को लेकर प्रदेश भर में पद यात्रा कर अलग राह पकड़ लिया है।
2022 विधानसभा चुनाव से पूर्व हुए विस्तार ने अति दलितों, पिछड़ों पर दांव खेला है।कांग्रेस से आये जितिन प्रसाद के कैविनेट मंत्री बनने के बाद भाजपा के मूल ब्राह्मण कार्यकर्ताओं में घनघोर निराशा छा गया है। खास कर शाहजहांपुर में जहां से जितिन प्रसाद आते हैं। यूपी सरकार के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना और पार्टी के हैवीवेट महामंत्री व पर्यावरण बोर्ड के उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर ने शाहजहांपुर में जितिन प्रसाद की राजनीति जमींदोज कर दिया था। अब कार्यकर्ताओं को जितिन प्रसाद की अगुवानी करनी पड़ेगी। मंत्रिमंडल विस्तार में एक ब्राह्मण जितिन प्रसाद के अलावा छह अन्य विधायकों को शपथ दिलाई गई है। इन छह में से एससी-ओबीसी जाति वर्ग से आते हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी को हाशिये पर धकेल कर जितिन प्रसाद को थोपना भाजपा को भारी पड़ सकता है।