राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र 84 कोस के सभी स्थल भूमि पर पूजन तक होगा हवन

0
583

नई दिल्ली। अब प्रधानमंत्री से किए जाने वाले भूमि पूजन से पूर्व तीर्थ क्षेत्र को सकारात्मक ऊर्जा बिखेरने की तैयारी है।न्यास श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के 84 कोस में सभी ऋषि, मुनियों की तपस्थलियों पर दो दिनों तक भव्य आयोजन करेगा। न्यास ने ऐसे 151 तीर्थ स्थलों को चिहिंत किए हैं। इन स्थानों पर जप व अनुष्ठान होगा। श्रीराम चरित मानस का पाठ, श्री दुर्गा सप्तशती व श्रीविष्णु सहस्रनाम का पाठ भी होगा। जन्मभूमि पर रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन को लेकर अयोध्या में तैयारियां चरम पर है। अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह की अगुवाई में श्री अयोध्या न्यास बड़े आयोजन की तैयारी में है।

अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अयोध्या पहुंचने के साथ ही इन 151 स्थलों पर वैदिक मंत्रोच्चार गूंजने लगेंगे। 84 कोस में स्थित तीर्थ क्षेत्र के लोग अनु्ष्ठान की पूर्णहुति में शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि यह तीर्थ क्षेत्र अयोध्या सहित चार जिलों में फैला हुआ है। इन ऋषि, मुनियों की तपस्थलियों, अवतार स्थलों का स्कंद पुराण, वाल्मीकि रामायण, हरिबंश पुराण, रुद्रयामल जैसे ग्रंथों में वर्णन है। इसी आधार पर वर्ष 1902 में गठित एडवर्ड तीर्थ विवेचनी सभा ने शिलालेख स्थापित किए थे।

Advertisment

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र 84 कोस में अयोध्या जिले के महबूबगंज स्थित ऋषि ऋंगी आश्रम, नंदीग्राम भरतकुंड, आस्तीक ऋषि आश्रम आस्तीकन, जन्मेजय कुंड सिड़सिड़, च्यवन ऋषि आश्रम राजापुरवा, रमणक ऋषि पंडितपुर, माण्डव्य ऋषि आश्रम बसौढ़ी, गौतम ऋषि रुदौली, मां कामख्या भवानी मंदिर सुनबा, गोंडा जिले के वाराह (सूकर क्षेत्र), संत तुलसी दास की जन्मस्थली राजापुर, ऋषि यमदग्नि जमथा, ऋषि अष्टावक्र, रामघाट, ऋषि पाराशर परास गांव, कपिल मुनि आश्रम महंगूपुर, वाराही देवी रगडग़ंज, बस्ती जिले में पुत्रेष्टि यज्ञ स्थल मखभूमि मखौड़ा, रामरेखा, छावनी सहित इन सभी स्थलों पर अनुष्ठानों का आयोजन चार अगस्त को प्रारंभ होगा। पांच अगस्त को प्रात: जप और पाठ के बाद साधक, श्रद्धालु हवन में आहुतियां डालेंगे। समापन पर श्रद्धालुओं में सवा लाख पैकेट प्रसाद का वितरण किया जाएगा। श्री अयोध्या न्यास की ओर से वर्ष 2014 से इन स्थलों को नए सिरे से चिन्हित किया गया। इसी आधार पर दिल्ली में अयोध्या पर्व का आयोजन हुआ था।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here